Tuesday, May 19, 2020

तुम्हारे खत

ए बेकार सी कुछ चीजे पड़ी है, 
के जिनमे कुछ खत भी है तुम्हारे। 
इनमें से कितने ही खतो में, 
तुम्हारी बहोत सी बाते है झूठी। 
जिनमें तुम ने कहा था, 
के बहोत चाहते हो तुम मुझको, 
मेरी आंख के आंसूं तुमसे देखे नही जाते।
और भी बहोत बाते हैं तुम्हारी, 
मुझसे मिलने के लिए ठहरते हो तुम, 
तुम कितने बेसब्र होके मेरा इंतजार करते हो, 
मेरे खतों को संभालकर रखा है तुमने
छत के उपर छिपा के कही।
बारिशों में तुम्हें मेरे साथ बिघना है, 
तुम मेरे साथ शहर देखना चाहते हो। 
और भी न जाने कितने ही झूठे वादे है तुम्हारे। 
ए बेकार सी कुछ चीजे पड़ी है, 
के जिनमे कुछ खत भी है तुम्हारे।

Monday, May 18, 2020

लिखते हैं, मिटाते हैं

लिखते हैं, मिटाते है..
लिखते हैं, मिटाते हैं..
तेरे कागजों में जिंदगी
हम सब भूल जाते हैं।
अब कोई दर्द देता है,
तो मुस्कुराते हैं।
कोई गले मिलता है,
तो रोते हैं।
तेरे हर पन्ने पर जिंदगी
हम लिखते हैं, मिटाते है..
लिखते हैं, मिटाते हैं..
हम कितने खुशनसीब हैं
गम लिखके मिटाते हैं।
हसीं लिखके उड़ाते हैं।
शोक सा हो गया है हम को,
लिखते हैं, मिटाते है...
लिखते हैं, मिटाते हैं... 

Friday, April 17, 2020

मेरी तन्हाई की रातें

ये चांद और मैं अक्सर एकसाथ बैठते हैं।
ए कभी मुझे अपनी सुनाता है,
तो कभी इसे मैं अपनी बताता हूं।
मैं इससे कहता हूं के,
कितनी खुबसूरत हो तुम।
तुम किस अंदाज मैं बाते करती हो।
कितनी मासूम हो तुम,
कैसे हर छोटी सी चिज को संभालकर रखती हो।
और न जाने कितने ही किस्से सुनाता हूँ इसे तुम्हारे ।
मैं इसे हर बात बताता हूं।
ए भी मुझे सुनाता है।
इन अनगिनत सितारों की अनगिनत बातें।
मुझे अच्छा भी लगता है,
मगर क्या तुम जानती हो
मैं इससे क्या मांगा करता हूं ?

मैं कहता हूँ के,
"ए जो दिन हैं न जो मैं काट रहा हूँ,
ए फिर कभी न आए।
मैं तुम्हारी कोई बात किसी को न बताउ।
नाही उन सितारों की कहानियां सुनु।
क्योंकि मैं नहीं रहना चाहता तुमसे
बिछड़ के,
मैं तुमसे बिछड़ कर रह भी तो नहीं सकता"

बड़े मुस्कुराते हुये कटते हैं मुझसे ए दिन ।
याद रखना फिर कभी कहीं जाओ तुम
तो अपने ए किस्से भी साथ लेकर निकालना।
क्योंकि ,
अब ए मेरे अकेले के बस की बात नहीं,
अब मुझसे ए रातें कांटी नहीं जाती ।

Thursday, April 16, 2020

वो कोई और है।

वो जो तेरी आंखों का सुखन हैं 
वो मैं नहीं कोई और है। 
जिसे ढूँढती है तु मुझमे, 
वो मैं नहीं कोई और है। 

ए नाराजगी, ए तड़प,यु मचलना
ए सब बयां करता है
के जिसे ढूँढती है तु मुझमे, 
वो मैं नहीं कोई और है। 

ए बिखरी जुल्फें
ए आंखों से छलकता पानी 
ए चिख-चिख के कहता है मुझसे
के जिसे ढूँढती है तु मुझमे, 
वो मैं नहीं कोई और है। 

तेरे मुस्कुराने की वजह 
एक दफा मैं हो भी सकता हूं 
मगर मिरे जाना
मोहब्बत तेरी कोई और है। 

हा जिसे ढूँढती है तु मुझमे, 
वो मैं नहीं कोई और है। 

Sunday, December 29, 2019

सिखना जरुरी है।

                छुट्टियों में जब मैं घर गया था। एक दिन यही सोच रहा था यार जिंदगी तो सही चल रही हैं। कुछ किताबें सामने थी हाथों में मोबाइल थामे मैं युही सोच रहा था। तब पापा पुछने लगे "और बेटा कैसे गए इम्तिहान? "
मैंने पुछ लिया पापा क्या इम्तिहान इतने जरुरी है? और पापा की तरफ देखा । 
पापा थोड़ी देर तो मुझे देखने लगे। मैंने तो सोच लिया था अब कम से कम 10-15 थप्पड़ तो पड़ ने वाले हैं। पर पापा ने तभी कहा ,नहीं ! मैंने चौक कर पापा की तरफ देखा क्या कहा? पापा सचमुच इम्तिहान देना जरूरी नहीं? 
"हां ! जरुरी नहीं। "
मैं सोच ने लगा था ए कैसै हो सकता है ? मैंने तो ए सोचा भी नहीं था। तब पापा ने कहा, 
                       जानते हो मैं जब छोटा था न मैं बहोत पढ़ना चाहता था । मगर हालात कुछ ऐसे थे के मुझे पढ़ाई छोड़नी पड़ी। मैंने पढ़ना छोड़ दिया मगर बस इम्तिहान की किताबों को पढ़ना छोड़ दिया था। 
                                मैं अपनी पूरी जिंदगी सिखते आया हूं। मैंने सिखा हैं जब हम खाली पेट हो और दोस्त खाने को पूछे तो उसे कहेना "भाई ! मैं तो खाना खाकर आया था।, यार आज भूक नही है। "
                           जब अपने जेब मैं पैसे न हो तो हर सस्ती चीज को महंगा कैसे माना जाता है। कल मैथी 10रुपये किलो थी पर जेब मे बस 8रुपये थे तो मैथी महंगी थी पर आज मैथी 20रु  किलो. है और जेब में 40रुपए है तो मैथी सस्ती है। मैं ने ये जाना है ये सिखा है। 
                              हा ! इम्तिहान देना जरुरी नहीं। मगर जरुरी है पढना, सिखना, ख्वाब देखना, जिंदगी को खुलकर जीना बहोत जरुरी हैं । हा इम्तिहान देना जरुरी नहीं। हर रोज़ करोड़ों ख्वाब देखे जाते हैं व्यक्ति कोई भी ख्वाब जरुर देखता है, मगर उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत हर कोई नहीं करता। और मैं ए दावे के साथ कह सकता हूँ के जो मेहनत करता है उसे सफलता अवश्य मिलती है। 
                                         मैंने तेरे लिए सोचा था। जो मुझे नहीं मिला मैं ओ सब अपने बेटे को दूंगा । मेरा बस यही ख्वाब था। 
               अब ये तेरा फर्ज है, के जो मैं तुझे नही दे सका ओ सब तु अपने बेटे को देगा। ए मत सोच तेरे पास क्या है, तुझे करना क्या हैं, तुझे बस ए ध्यान रखना है के "मुझे किसी ने कुछ दिया है जो मुझे सुद समेत लौटाना हैं। "और रही बात लोगों की तो मैं बस हरबार यही गाता आया हूँ , 
                     "होंगे राजे राजकुंवर ,
                      हम बिगड़े दिल शहजादे।
                      हम सिंघासन पर जा बैठे ,
                      जब-जब करे इरादे ।"
जिंदगी इतनी छोटी है के आंखें झपकने से खुल ने तक उम्र बीत जाती हैं। तुम ख्वाबों को जिंदा रखना सिखो 100 साल नही जीना मगर 100साल तक अपना नाम अमर कर दो ।
किताब के आखरी पन्ने पर भी गर तुम्हारा नाम आता है तो मैं खुश हूं क्योंकि किताबें कभी मरा नहीं करती । हा बेटा ! इम्तिहान देना जरुरी नहीं।  मगर तुम्हारा सिखना जरुरी है। 

                 

Monday, March 4, 2019

क्या सचमुच वो मेघना हो तुम?

क्या सचमुच वो मेघना हो तुम? 

लबालब भरा जिसमे अमृत रस हो
जो वर्षा करे प्रेम रस की
क्या सचमुच वो मेघना हो तुम?
आकाश का जो श्रृंगार है
जो प्रेमी की पुकार है
मेघ की गर्जना में दामिनी के साथ जो
भरदे समुंद्र तट को
क्या सचमुच वो मेघना हो तुम?
जो हर पायल को छनका दे
जो माती को महेका दे
जो मुग्ध कर दे मयूर को नृत्य पे
क्या सचमुच वो मेघना हो तुम?

Friday, February 22, 2019

मला तुला काहितरी सांगायचंय

मला तुला काहितरी सांगायचंय
अग कंटाळा येतो या जगात
मला तुझ्या ह्रदयात रहायचंय
या चंद्राला सांगा कुणी
मला त्याच्या ऐवजी पण तुलाच पहायचंय
मी कुठलाही सरकारी कागद घेतल नाही
मला माझ्या ओठा वर तुझ्या ओठांचं ठसा घयायचंय
अरे ऐक न !....
मला खरच तुला काहितरी सांगायचंय
किती रेशमी केश आहे ग तुझे
मला रोज यांच्याशींच खेळायचंय
अरे ये न ग मला 
प्रेमात प्रेमान प्रेमालाच प्रेमा विषयी सांगायचंय