Friday, February 22, 2019

मला तुला काहितरी सांगायचंय

मला तुला काहितरी सांगायचंय
अग कंटाळा येतो या जगात
मला तुझ्या ह्रदयात रहायचंय
या चंद्राला सांगा कुणी
मला त्याच्या ऐवजी पण तुलाच पहायचंय
मी कुठलाही सरकारी कागद घेतल नाही
मला माझ्या ओठा वर तुझ्या ओठांचं ठसा घयायचंय
अरे ऐक न !....
मला खरच तुला काहितरी सांगायचंय
किती रेशमी केश आहे ग तुझे
मला रोज यांच्याशींच खेळायचंय
अरे ये न ग मला 
प्रेमात प्रेमान प्रेमालाच प्रेमा विषयी सांगायचंय

अब हर घर से एक भगतसिंग आएगा

अब हर घर से एक भगतसिंग आएगा

फिर एक बिस्मिल उठेगा
फिर एक अश्फाक इंकलाब गायेगा
बड़ गए है दुश्मन मेरे हिंदुस्तान के
अब हर घर से एक भगतसिंग आएगा
चंद्रशेखर की आझादी अब हिंदुस्तान दोहरायेगा
खुन बहाया वतन का हमारे
अब खुन का बदला खून से लिया जायेगा
भाग सको तो भागो दुश्मन
अब हर घर से एक भगतसिंग आएगा
तुमने 20 मारे थे तुम्हारे सौ लेटे है
काफिरों याद रखना हिंदुस्तान के घर-घर में
वतन पर मरने-मारने वाले बेटे है
यहा चूडिय़ाें की खनखनाहट भी आझादी ही गाती है
एक मज़हब हो जाते हैं हम हिंदुस्तानी
जब बात हमारे वतन की आती है
तुमने सिर्फ हवा का छोटा झोका देखा है
अब ए हिंदुस्तान तुम हैं खुन का सैलाब दिखाएगा
मेरे वतन की मिट्टी की कसम अब चुन-चुन कर तुमसे बदला लिया जाएगा
ये वादा हैं एक हिंदुस्तानी का अब हर घर से एक भगतसिंग आएगा